उज्जैन के बड़नगर क्षेत्र की एक पंचायत में एमबीए सरपंच के गांव वालों की बेहतरी के लिए किए कार्य महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए मिसाल बन रहे हैं। दो साल से विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर पर समाज कार्य (सोशल वर्क) द्वितीय वर्ष में इस युवा सरपंच की जनप्रतिनिधि के रूप में ग्रामीण विकास के लिए पाई उपलब्धि को पढ़ाया जा रहा है।
बात कर रहे हैं बड़नगर से आठ किमी दूर ग्राम पंचायत भिड़ावद-3 की सरपंच रितु पांचाल की। तीन गांवों की देखभाल की जिम्मेदारी संभालने वाली इस पंचायत में सरपंच चुने जाने के बाद से यहां जो काम रितु ने किए हैं, उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व विकास कार्यक्रम के तहत समाज कार्य में स्नातक की डिग्री के लिए पढ़ रहे प्रदेशभर के सैकड़ों छात्र उसे पढ़ रहे हैं।सामुदायिक नेतृत्व में विशेषज्ञता के तहत द्वितीय वर्ष केमहिला विकास व सशक्तिकरण (माड्यूल-11) में उनकी प्रेरणादायी कहानी शामिल की गई है।
इन उपलब्धियों का उल्लेख है पाठ्यक्रम में
पाठ्यक्रम के माड्यूल-11 में शामिल भिड़ावद की सरपंच रितु पांचाल की जिन उपलब्धियों को गिनाया गया है, उनमें ग्रामीणों के सहयोग से सीमेंट-कांक्रीट सड़क बनाने, सभी घरों में नलों से पेयजल उपलब्ध कराने के अलावा प्रदेश का पहला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांव घोषित किए जाने का दावा भी किया गया है।
दो साल पहले तैयार माड्यूल में सरपंच की तब की भावी कार्ययोजना के तहत गांव में वाई-फाई, सौर ऊर्जा से चलने वाली स्ट्रीट लाइट लगाने, ई-समाधान केंद्र व ई-पंचायत की सुविधा मुहैया कराने का उल्लेख भी है। अब शादी के बाद इंदौर में रह रही रितु ने विक्रम विश्वविद्यालय से फाइनेंस में प्रबंधन की स्नाकोत्तर उपाधि (एमबीए) पाई है।
वाई-फाई और ई-पंचायत का काम पूरा न करा पाने का मलाल : रितु पांचाल
नईदुनिया ने जब सरपंच रितु को ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में उनका पाठ शामिल होने के बारे में बताया तो वह अचंभित हो गईं। उन्होंने बताया कि शासन की नीतियों के तहत ही पंचायत के तहत आने वाले गांवों के रहवासियों को सुविधाएं दिलाई हैं। मेरे शिक्षित होने का लाभ ग्रामवासियों को मिला है।
कई योजनाओं के लिए मुझे किसी अधिकारी के पास नहीं जाना पड़ा। कई सुविधाएं ऑनलाइन ही प्राप्त हो जाती हैं। उनका मानना है कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले हर व्यक्ति को शिक्षित होना चाहिए। हालांकि उन्हें गांव में वाई-फाई और ई-पंचायत का काम पूरा न करा पाने का मलाल है। वे कहती हैं कि खर्च अधिक होने और पर्याप्त फंड उपलब्ध नहीं होने से यह काम अधूरा रह गया है। कई बार सरकार से अनुरोध किया लेकिन अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
- सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था से लेकर स्कूलों में तार फेंसिंग और आंगनवाड़ियों का निरीक्षण होने लगा। सरपंच के पढ़े-लिखे होने से अफसर भी अब हमारी समस्याएं सुनते हैं। वे गांव की बेटियों और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं। - हरिसिंह गोयल, उपसरपंच, भिड़ावद
- हमारे गांव में पहले पक्की सड़क नहीं थी। बारिश के दिनों में परेशानी होती थी। सरपंच ने इसका प्रोजेक्ट सेक्शन करवाया है। अब गांव में भी सड़क बनेगी। भरत सिंह राठौर, ग्रामीण